Girls code words for Periods
23:18:00इसके अलावा इस बारे में चर्चा करना भी एक शर्म का विषय हो जाता है तो इस बारे में बातें भी दबी जुबान ही होती है। डब्लयू डी के मुताबिक भारत में 10 फीसदी और ईरान में 50 फीसदी लड़कियां इसे एक बीमारी की तरह देखती हैं। सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि महिलाएं खुद इसका नाम लेकर बात नहीं करती। इसके लिए कई तरह के सांकेतिक नामों का प्रयोग होता है। जैसे भारत में भी इसे लड़कियां बताने के लिए कई सारे मजाकिया नामों जैसे एमसी, डाउन होना, डेट आना, बॉस कॉलिग, चम्प्स आदि जानती और बताती है।
ऐसे समय में कई महिलाएं खुद को परिवार से अलग कर लेती है। आज भी कई देशों में महिलाओं का इस समय घर में प्रवेश वर्जित है। आज भी महिलाएं अगर गलती से दाग लग जाएं तो इसके लिए खुद तो शर्मिदां होती ही हैं साथ ही लोग भी इसके लिए टोकने के अलावा शर्मिदा महसूस करवाते हैं।
ये उनके जीवन का एक हिस्सा है जिसके लिए आज भी उन्हें जरुरी चीजें मुहिया नहीं हो पाती जैसे शौचालय, पानी, साबुन और पेड और शर्मिदगी भी उसके साथ जुड़ जाती है, ये काफी चिंताजनक है।
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