Breast are healthy

बाजार जाना हो, सब्जियां खरीदना हो, पार्क में पिकनिक हो या बीच पर दोस्तों के संग अठखेलियों भर पल गुजारना हो। मैरीलैंड की ये लड़की तीन साल से ...



बाजार जाना हो, सब्जियां खरीदना हो, पार्क में पिकनिक हो या बीच पर दोस्तों के संग अठखेलियों भर पल गुजारना हो। मैरीलैंड की ये लड़की तीन साल से खुली छाती के साथ सभी जगह जाती है। लोग उसे घूरते हैं, अजीब प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन वो कहती है कि उसे फर्क नहीं पड़ता। जब मर्द खुली छाती के साथ रह सकते हैं तो औरतों को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए।

तस्वीरें अमेरिका के मैरीलैंड की 27 वर्षीय चेल्सिया कंनविक्टन की हैं। हमारा कानून इन तस्वीरों को हूबहू दिखाने की इजाजत नहीं देता है इसलिए हमने उनको थोड़ा ब्लर कर दिया है।
डेलीमेल की खबर के मुताबिक चेल्सिया 'टॉपफ्रीडम आंदोलन' का हिस्सा हैं। टॉपफ्रीडम आंदोलन अमेरिका के कुछ हिस्सा में चलाया जा रहा है। इस आंदोलन के तहत औरतों को भी मर्दों की तरह पूरी खुली छाती के साथ सार्वजनिक जहगों पर जाने की आजादी मिलनी चाहिए। संगठन के सदस्यों की तरह चेल्सिया भी इस मुहिम में जोर-शोर से लगी हैं। 

चेल्सिया उन जगहों पर बेयर ब्रेस्ट (बिना कपड़ों के छाती) के वक्त गुजारती हैं जहां का कानून इसकी इजाजत देता है। अमेरिका में वॉशिंगटन डीसी, पेंसिलवानिया, न्यूयॉर्क और न्यू हैम्पशायर में औरतों के खुली छाती के साथ रहने पर पाबंदी नहीं है।

मुहिम को तेज करने के लिए चेल्सिया ने 'ब्रेस्ट आर हेल्दी' नाम से ब्लॉग भी बनाया है। ब्लॉग पर चेल्सिया की टॉपलैस तस्वीरें और उनके विचार हैं। जिन्हें देखकर लगता है कि चेस्सिया को पार्क, पिकनिक, बीच या वाशिंगटन डीसी में साइकिल चलाते वक्त खुली छाती के साथ रहने कोई हिचकिचाहट या कोई हर्ज नहीं होता है।

चेल्सिया कहती हैं कि निजी सुख ही उनका गाइड है। उन्हें लगता है कि जैसी मर्जी हो वैसा ही करना चाहिए। चेल्सिया की मानें तो औरतों को हर हाल में सार्वजनिक स्थानों पर बेयर ब्रेस्ट के साथ घूमने-फिरने की आजादी मिलनी ही चाहिए। ये औरतों का पावरफुल एक्ट है। ये उनकी पर्सनाल्टी का अहम हिस्सा है। उनकी सुंदरता है, जिसे सही से परिभाषित करने की जरूरत है।

चेल्सिया की इन तस्वीरों को देखकर बहुत से लोग उदंडता, नग्नता या अश्लीलता की दुहाई दे सकते हैं, लेकिन चेल्सिया मानती हैं कि औरतें भी मर्दों की तरह सीना दिखाकर रह सकती हैं।

चेल्सिया की मुहिम से ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या हर लिहाज से औरतों और मर्दों में बराबरी संभव है?

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